APEDA, जो कि वित्त मंत्रालय की एक इकाई है ने शुक्रवार को कहा कि वो विदेशी बाजारों, जहां निर्यात करने की अपार संभावना है, में प्राकृतिक कृषि की फसलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए स्ट्रेटजी तैयार कर रही है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, APEDA उपज मानकों को विकसित करने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती प्रमाण प्रणाली के लिए कृषि मंत्रालय से परामर्श कर रही है। आपको बता दें कि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण को हम APEDA के नाम से भी जानते हैं।
किसानों के लिए फायदेमंद है प्राकृतिक खेती
APEDA के अनुसार आजकल प्राकृतिक उत्पादों की मांग बढ़ने की वजह से उपभोक्ता ऐसे खाद्य पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन और दवाओं को ज्यादा से ज्यादा खरीद रहे हैं जिनमें प्राकृतिक तत्व का उपयोग किया गया है इसलिए ये रणनीति तैयार की जा रही है।
प्राकृतिक खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इन उत्पादों को मान्यता देने की वजह से किसानों को बहुत अच्छी रकम प्राप्त होगी। इतना ही नहीं इस तरह की वस्तुओं के मूल्यवर्धन की वजह से ग्लोबल मार्केट में ज्यादा से ज्यादा विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी।
APEDA ने की पहल;
राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत जैविक उत्पादों को निर्यात करने की संभावना का लाभ उठाने और जरूरतों को पूरा करने के लिए निर्यातकों उत्पादकों, और विभिन्न राज्य सरकार के अधिकारों और अन्य संबंधित पक्षों को जागरूक करने की अभूतपूर्व पहल APEDA ने की।
क्या कहना है वित्त मंत्री का?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान यह कहा कि पहले चरण में गंगा नदी के किनारे स्थित 5 किलोमीटर चौड़े गलियारों में उपस्थित किसानों की जमीन पर ध्यान देने के साथ-साथ संपूर्ण देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में पहले से ही प्राकृतिक खेती की जा रही है।
क्या है प्राक्रतिक खेती?
आपको बता दें कि प्राकृतिक खेती एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता है केवल प्राकृतिक पदार्थों जैसे कि गाय और भैंस का गोबर, मूत्र वर्मी कंपोस्ट और अन्य प्राकृतिक अवयव का उपयोग करके खेती की जाती है। इस तरह की खेती में यूरिया या अन्य सिंथेटिक उर्वरको का उपयोग नहीं किया जाता।